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Hopeless

ज़िंदगी आज नाउम्मीद थोड़ी कम होती
गर तेरी आँखें उस दिन कुछ नम होतीं

ये सोच के कि तू भी कभी याद करती होगी
मैं तो जीने को तय्यार था
लेकिन उस दिन तेरी मुस्कुराहट में
न संवेदना थी न प्यार था
कुछ कहते कहते ही रुक गया मैं
वरना ज़िंदगी मेरी भी खुश सनम होती
गर तेरी आँखें उस दिन कुछ नम होतीं

इस लिये खड़ा रहा कि
मुड़ के देखोगी एक बार
लिये दिल में एक अनसुनी आह
आँखों में धूल का गुबार
सूखे होठों पे सहमी सी चाह में
झलकती मौत की ज़िंदगी कुछ कम होती
गर तेरी आँखें उस दिन कुछ नम होतीं

4 observations on “Hopeless
  1. Ankit

    @नितिन : आपसे ही सीखा है 🙂

    @आबेराह : इस नवाज़िश के लिये शुक्रिया

     

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